जी रहे हैं तेरे गम में यूँ डूब कर
ये सागर है जिसमें आँसू भी नहीं
जो बहते नहीं हैं उसे क्या कहूँ मैं
अब मेरे लिए ये भी कुछ भी नहीं
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जी रहे हैं तेरे गम में यूँ डूब कर
ये सागर है जिसमें आँसू भी नहीं
जो बहते नहीं हैं उसे क्या कहूँ मैं
अब मेरे लिए ये भी कुछ भी नहीं