ऐ नादां मुहब्बत तू मुझको ऐसे ना रुला
मेरी आंखों को न दे मेरे गुनाहों का सिला
अपनी तन्हाई में तो हमको खुशी न मिली
बेपनाह दर्द भी तेरी ही पनाहों में मिला
घुल जाती हो तुम मुझमें खुशबू बनकर
फूल जब भी सीने में तेरी यादों का खिला
हम तो सो जाएंगे कब्र में खामोशी से
छोड़ जाएंगे तुझमें दफ्न होने का गिला
प्यार
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