आईना देखा तो मेरा एक अलग ही रूप था
कल तलक जो अक्स था, आज वो इक दाग था
बस मेरी तू आरजू थी, चूड़ होकर रह गई
मैं भी शायद जिंदगी का एक टूटा ख्वाब था
मिट्टी का हर दर्द तो फूल बनकर खिल गया
मेरे सीने में भी गम का एक हसीन गुलाब था
जख्म जब-जब दिल में मेरे इश्क में जल उठा
आंख से पानी बहे, उस पानी में भी आग था