सावन भी गुजर जाएगा, आंसू भी बिखर जाएगा
एक बार जो तू आ जाए, पतझड़ भी संवर जाएगा
मेरे इश्क का चकोर तो चंदा से जुदा हो गया
अब तो वो इस खिजां में रोकर ही मर जाएगा
दिल के इन नश्तरों में दुख भी हैं, सुख भी हैं
कभी खिलेंगे गुलाब तो कभी पेड़ उजड़ जाएगा
मुझको मेरी तन्हाई देती है ये दिलासा
ये दिल न लगा उनसे जो लौटकर फिर जाएगा