दुनिया में रिश्तों के सौदागर प्यार को भला क्या जानेंगे? उनके लिए उल्फत, मोहब्बत, प्यार, इश्क..इन सब बातों का कोई मतलब नहीं। न उनमें शराफत है और न उनमें मोहब्बत। अभी भी दुनिया में जिनमें शराफत बची है, उनमें मोहब्बत को पहचानने और जानने की ताकत भी बची है।
जब मोहब्बत होती है तो सारी कायनात का अहसास जिस्म में समाने लगता है। आंखों से झरने गिरने लगते हैं। दिलों में शोला जलता है। आग और पानी, शोला और शबनम के इस अहसास का नाम मोहब्बत है। दुनिया में जीने वाले लोग इस कुदरत का अहसास नहीं कर पाते क्योंकि वो मोहब्बत नहीं कर पाते।

कभी महसूस न हो तो ये कुदरत आप क्या जानें
जिनको मोहब्बत होती है, खुदा उसका महबूब होता है और उसकी सूरत से बेहतर दुनिया में उसे कुछ भी नहीं दिखता। कायनात की सारी खूबसूरत चीजें उसे उसके महबूब की याद दिलाती हैं। दीवानों के इस अहसास को दुनिया पागलपन कहती है लेकिन उसके क्या पता कि मोहब्बत करनेवालों की फितरत ही ऐसी होती है।
आशिक के पास न तो दौलत होती है और न ही उसके पास कोई जागीर होती है। उसके रहने का ठिकाना भी दुनिया में खो जाता है। मोहब्बत करनेवाले दुनिया में फकीरों की तरह जीते हैं। कायनात की किसी चीज पर कब्जा करने की नीयत से वो नहीं जीता। उसके पास जो कुछ भी होता है, वो उसे बांटता चलता है। इस तरह की फकीरी जिंदगी जीने की कीमत दुनियावाले क्या जानें जो हर चीज पर अपना कब्जा जमाना चाहते हैं…
मुहब्बत आप क्या जाने, शराफत आप क्या जानें
अरे दुनिया के सौदाई, ये उल्फत आप क्या जानें
दिलों में जल रहे शोले, निगाहों से गिरे झरने
कभी महसूस न हो तो ये कुदरत आप क्या जानें
जिन्हें महबूब की सूरत से बेहतर कुछ नहीं दिखता
दीवानों का ये पागलपन, ये फितरत आप क्या जानें
न दौलत है न जागीरें, न रहने का ठिकाना है
फकीरों की तरह जीने की कीमत आप क्या जानें