जिंदगी तेरी इबादत मैं भला कैसे करूं
तुमसे तेरी ही शिकायत मैं भला कैसे करूं
दर्द को दिल में समेटा है मरने के लिए
अब कोई भी चाहत मैं भला कैसे करूं
टूट जाएगा ये आईना, छूट जाएगा जिस्म
इस हकीकत से बगावत मैं भला कैसे करूं
जो मुझे ना दिखे पर सीने पे खंजर मारे
ऐसे दुश्मन से अदावत मैं भला कैसे करूं