महसूस करेगा वो मेरे दर्द की जुबाँ
मेरी उदासियाँ भी सुनाएगी दास्ताँ
पतझड़ की बारिशों में वो भीग गया है
अब धूप के लिए जलाएगा आशियाँ
लाएगा रंग इश्क ये उसमें इस तरह
अपनी चिता के वास्ते खोजेगा लकड़ियाँ
अपने ही लहू से लिखेगा मेरा नाम
अपने ही खंजर से तराशेगा ऊंगलियाँ
वाह क्या गहराई कौ पैश किया है
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