हम तुमको भुलाते रहे, तुम हमको भुलाते रहे
कुछ इस तरह एक-दूजे को पास बुलाते रहे
मेरे मुकद्दर की कोई फरियाद तो सुनो
मुद्दत से तेरे सिज़्दे में आँसू बहाते रहे
होता है जहाँ आगाज़ वहाँ अंजाम नहीं होता
इस जिंदगी से मौत तक ये उम्र बिताते रहे
तू जाने किस शहर में रहने चली गई
तुझे ढ़ूँढ़ते शहर-शहर हम ये गजल गाते रहे