मौत ही मयस्सर है जब आखिर के लिए
फिर खुदा क्या चीज है किसी काफिर के लिए
असलियत जानता है खूबसूरत चेहरों की
आईना टूट गया है जिस मुसाफिर के लिए
मुद्दतों दूर तलक दिखती है तन्हाई
कश्तियां डूब गई हैं मेरे सागर के लिए
हुस्न में शोखी है और खामोशी भी
वो जलवा-ए-कयामत है दिलबर के लिए
जलवा ए कयामत- कयामत का जलवा
©RajeevSingh # love shayari #share photo shayari
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