जो अपने घर से जुड़े हैं एक मुद्दत से
वो ही डरते रहे बहुत इस मुहब्बत से
पत्थरों के मुहल्ले में सभी पैदा हो गए
उबर न पाए कभी वो बुतों की हसरत से
हर एक रिश्ते का नाम बस तिजारत है
जमाना खाली है यहां दिलों की कुरबत से
कहीं से आके कोई छीन न ले दौलत को
मरे हैं शहर में कई लोग इस दहशत से
(तिजारत- व्यापार, कुरबत- करीबी)
©RajeevSingh # love shayari #share photo shayari
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