दिल लेके तेरे दर की चौखट पे आ गए
हमदर्द की आवाज की आहट पे आ गए
गुजरे थे हम इधर से मुसाफिर की तरह
तेरी गली में आज भी आदत से आ गए
इस शहर में रहता हूं मैं इतने बरस से
अब सोचते हैँ हम यहां किस्मत से आ गए
तुम हसीन शायरी की तस्वीर जैसी हो
तुझसे यही कहने की चाहत से आ गए
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