आ लौट के तू आ जा, पहलू उदास है
बरसात में जलता दिल का चिराग है
तू तो बड़ा प्यासा है पर जानती हूँ मैं
समंदर नहीं तुमको रेतों की तलाश है
हर ओर से कयामत उठाया है जिगर ने
शायद ये मेरे खून में चढ़ता शबाब है
सावन का पपीहा भी रो-रो के थक गया
एक बूंद की खातिर वो इतना हताश है
Ajaj.ahmad.7524035390
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