क्यूं है सर्द-सर्द चांद, क्यूं है जलता आफताब
क्यूं हैं ये खामोश तन्हा, कौन दे इसका जवाब
कुछ दिनों तक लिख न पाया मैं कोई भी गजल
उन दिनों मैं भूल गया करना जख्मों का हिसाब
तेरी यादों संग बैठा अपने चमन की वीरानी में
उजाड़कर ले गयी ये दुनिया मेरे बगीचे का गुलाब
फासला दो-चार कदम का तय न कर पाए कभी
थे करीब हम-तुम लेकिन बंदिशें थी बेहिसाब
©RajeevSingh # love shayari #share photo shayari
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