तुम किस अंधेरे में हो ऐ नूर खुदा के
शब ने तुझे पुकारा है खामोश सदा से
दामन की उलझनों में डूबे हुए हैं हम
लो दफ्न हो गए हैं खुद अपनी खता से
अब दिल के लिए कोई पत्थर भी तो आए
ऐ बेरहम तन्हाई मुझे इतनी दुआ दे
एक दर्द का वजूद है आगोश में मेरे
वो दूर रह रहा है अपनी दिलरुबा से