मैं तो तेरी हर अदा पे कविता लिखता
काश हमको संग जीने का मौका मिलता
दिल में पड़े सभी गांठ खुल ही जाते
अगर तेरी उंगलियों का सहारा मिलता
मेरे जज्बात हैं मासूम बच्चों की तरह
ये रोते नहीं जब आंचल का किनारा मिलता
वो चांदनी जब निकल आती मेरे आंगन में
हमको अपने घर में भी उजाला मिलता
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