दिल वो फूल है जो टूटकर ही खिलता है
इसकी खुशबू से फिर आंसू भी मिलता है
जख्म के कांटे हैं जहां जिस्म के पर्दे तले
वहीं रूह को जीने का माहौल भी मिलता है
कभी हुस्न से फासला बनाकर देखो
कुछ तजरबा जुदाई के पलों में भी मिलता है
शबे-तन्हाई में ऐ दिल बेबस ना हो
सब्र कर, मंजिल जरा देर से भी मिलता है
आछी
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