भूख से जिंदगी में जब बेहाल हो गए
जेहन, जिगर, गजल भी फटेहाल हो गए
मरघट में जब हमने एक घर तलाश लिया
दुनिया की लाशों के लिए मिसाल हो गए
कदमों में पड़ी थी जो चप्पल टूटी हुई
रास्तों के लिए हम भी एक सवाल हो गए
अब गिन रहा हूं मैं दर्दे दिल लिए हुए
किस किससे हुआ इश्क, इतने साल हो गए
मरघट- श्मशान