नहीं थी खबर कि इस तरह रुसवा करोगे हमें
बस्ती में जाकर सबसे तुम बेवफा कहोगे हमें
एक ऐतबार पर खा चुकी अब तक इतने धोखे
देखती हूं कि कब तक ठोकरें लगाओगे हमें
मेरी जिंदगी में ये कैसी आग लगा गए हो तुम
खाक हो चुकी हूं और कितना जलाओगे हमें
दिल नादान था जो तुमसे मोहब्बत कर बैठी
कहां सोचा कि आखिर में ये सिला दोगे हमें