ना करो जज्ब इस दर्द को बह जाने दो
मेरे आंचल को आंसू से भीग जाने दो
तू भी तन्हा है कितना मेरी ही तरह
आज दोनों की तन्हाई को मर जाने दो
सिर्फ सुनते रहोगे तुम मेरे जज्बातों को
अपनी खामोश जुबां को भी खुल जाने दो
कितना सूना है मेरा दिल भी मेरे सीने में
इश्क का रंग इस फूल में भर जाने दो