जिसको भी चाहा रे तुमने, खो गया रे खो गया
जिसको भी अपना माना, छल गया रे छल गया
खोजने निकला था मैं एक आशियाँ सुकून का
मयकदे में आके शराबी, बन गया रे बन गया
अब न वो दुनिया रही, अब न वो रिश्ते रहे
अपनी तन्हाई में मुहब्बत मिल गया रे मिल गया
ये दरो-दीवार मुझको कैद ना रख पाएगी
रूह तो पंछी है कोई, उड़ गया रे उड़ गया