
खुद को संवारकर कहां तुम चले गए
मेरी दुनिया उजाड़कर कहां तुम चले गए
गुलशन के सारे फूल तोड़ चुके फिर भी
तितलियों को मारकर कहां तुम चले गए
जमाने के जुल्मों का हमें गम नहीं मगर
धोखे से वार कर कहां तुम चले गए
बुरे वक्त में जो रोते तेरे साथ चले थे
वो सब बिसार कर कहां तुम चले गए
©RajeevSingh #love shayari
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बेवफा हो गया है दर्द मुझी से
दूर का रिश्ता हो गया खुशी से
एक बादल का टुकड़ा उड़ता था
हमने बरसते देखा उसे बेबसी से
कोई कश्ती जब किनारे लगती है
वो ठहरती है कितनी खामोशी से
जुल्म करती है जब मुझपे तन्हाई
कत्ल करता हूं अपनी बेखुदी से
©RajeevSingh # love shayari #share photo shayari
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तिनको का आशियां था, पल में उजड़ गया
दिल जैसा नशेमन था, टूटकर बिखर गया
ये फूल सुनाते हैं लोगों के जुल्म को
जो जिंदगी न दे सके, वह मौत दे गया
अब जाके कहां ढूंढे ऐ पेड़ तेरे छांव
तुझे काटकर यह बेरहम मकान बन गया
हम मांगकर पी लेते थे जिनके यहां शराब
वो मुझसे बिना पूछे मेरा खून पी गया
©RajeevSingh # love shayari #share photo shayari
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