

मोहब्बत के फसानों का यही अंजाम होता है
इसमें जो मर मिट जाए, उसी का नाम होता है
खुशी के चंद कतरों से जो दिल को बहला ले
फिर गम को भी अपनाए, वही इंसान होता है
अपना बनकर जिसने दिया जिंदगीभर धोखा
उसका भी जो भला सोचे वही नादान होता है
दुनिया में जाने कब कोई भी काम आ जाए
मुसीबत में जो साथ आए वही भगवान होता है


किसी के दर्द पे अक्सर लोगों को हंसते देखा है
जब अपने पे आती है तो उसी को रोते देखा है
अपनों की मुसीबत में अपने भी भाग जाते हैं
अपनों को अपनों से ही दामन छुड़ाते देखा है
दौलत के सिवा दुनिया का रहनुमा कोई नहीं
फरिश्तों को भी राहों पर भीख मांगते देखा है
जिस बदकिस्मत को सब पत्थर मारा करते थे
किस्मत पलटी तो उसी पे फूल फेंकते देखा है
©राजीव सिंह शायरी
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