कोई गुमनाम भटकता है सहरा में
कोई प्यासा तरसता है सहरा में
जल रही हैं तेरी चाहत जिस सीने में
वही आशिक सुलगता है सहरा में
इस जमाने में उसको लैला न मिली
उसे तलाशने निकला है सहरा में
मौत भी आएगी तो बड़ा खुश होगा
इतना दीवाना बना है वो सहरा में
सहरा- वीराना