तेरे आने से मैं अपना चमन भूल गई
जो निभाना था घर से, वो वचन भूल गई
सात जनमों की भला कौन खबर रखे
तेरी दहलीज पे जब मैं ये जनम भूल गई
क्या जमाना भी करेगा हमसे शिकवा
जब जमाने के कीए सारे सितम भूल गई
दीवानी होकर तेरे पास चली आई हूं
तुमको देखा तो दिल की लगन भूल गई