तेरी आंखें जादू कर गईं, दिल में आंसू भर गईं
हंसती हुई जो मैं जिंदा थी, रोते-रोते मर गई
कैसे मैं समझूं तुमको, कैसे तू समझे मुझको
जब जुबां न बोलने की कसमें खाके अड़ गई
पास आने के लिए कितनी मोहलत चाहिए
एक मुद्दत से बहार आते-आते गुजर गई
फासलों में फासले हैं, हर जुदाई में हिज्रां
एक गम हैं सौ तरह के, झेलकर मैं मर गई
(हिज्रां- जुदाई)